Benefits and side effects of Tamarind in hindi इमली नाम सुनते ही मुंह में पानी आ गया न. बच्चों और महिलाओं को सबसे ज्यादा पसंद आने वाली इस...
Benefits and side effects of Tamarind in hindi इमली नाम सुनते
ही मुंह में पानी आ गया न. बच्चों और महिलाओं को सबसे ज्यादा पसंद आने वाली
इस वनस्पति को फल की श्रेणी में रखे, मसाला समझे या फिर सब्जी माने कोई आज
तक यह निर्धारित नहीं कर पाया, क्योंकि उत्तर भारत में जिस गोलगप्पे को
आप चटखारे लेकर खाते हैं, उसमें इमली का प्रयोग पानी के मसाले की तरह किया
जाता है और दक्षिण भारत के सांभर का जो खट्टा स्वाद आपको लुभाता है, वह भी
इसी इमली का कमाल है. दक्षिण भारत में तो कई जगह इसे सब्जी की तरह भी
इस्तेमाल किया जाता है, और कच्ची इमली को हम सबने अपने स्कूल के बाहर
खरीदकर नमक के साथ जरूर खाया होगा और अपने खट्टे हुए दांतों की गुदगुदी भी
महसूस की होगी.
जानिए इमली के बारे में (What is tamarind)
टेमरिंडस इंडिका इमली का बॉटनिकल नाम है. इंडिका से आशय है कि यह हमेशा से भारत में पाया जाता था और कहीं बाहर का पौधा नहीं है. भारतीय शास्त्रों में कई जगह इसका उल्लेख पाया जाता है. संस्कृत में इमली को कई नामो से पुकारा गया है, जिसमें इसे अपने बुरे प्रभाव के कारण यमदूतिका यानि मृत्यु का दूत तक बताया गया है, लेकिन अपने सदगुणों के कारण इसे आम्लिका और गुरूपत्रा तथा चरित्रा तक कहा गया है. इसका पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है. यह तीन वर्ष का होने के बाद फल देना शुरू करता है. समय के साथ ईमली के पेड़ बहुत विशाल हो जाते हैं और इनकी आयु भी बहुत लंबी होती है. अनुकूल वातावरण मिलने पर इमली का पेड़ सैकड़ों साल तक जिंदा रह सकता है.
क्या है इमली के औषधिय गुण? (Tamarind medicinal properties)
वैसे तो इमली को अपने गांठदार फल के लिए जाना जाता है जो खाने में खट्टा होता है क्योंकि इसके अंदर साइट्रिक एसिड बहुतायत में पाया जाता है. कच्ची इमली का रंग हरा होता है जो पक जाने पर गाढ़े लाल रंग में तब्दील हो जाती है. फल के अलावा इसके बीज, पत्ते और छाल तीनों में ही औषधिय गुण पाए जाते हैं जो अलग—अलग रोगों में अलग तरीके से लाभ पहुंचाते हैं. साइट्रिक एसिड के अलावा इमली में टार्टरिक एसिड भी पाया जाता है जिसे आज हम अप्राकृतिक रूप से पैदा करने में सक्षम हो गए है और यह टाटरी के नाम से अक्सर फास्टफूड में इस्तेमाल में लाई जाती है। इसके अलावा इमली में पोटेशियम बाई कार्बोनेट, फॉस्फोटिडिक एसिड और अल्केलाइड जैसे रसायन भी पाए जाते हैं जिसकी वजह से इसका अम्लीय प्रभाव और तेज हो जाता है और ज्यादा इमली खा लेने पर हमें एसिडिटी की समस्या हो जाती है. अब हम इसके अवयवों के अनुसार इसके गुण और दोष के बारे में जानते हैं.
इमली के छाल के औषधिय गुण (Tamarind bark)
इमली के साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव (Side effect of tamarind)
इमली, उसके बीज व पत्ते के फायदे व नुकसान
Benefits and side effects of tamarind in hindi
हमारे बड़े—बूढ़े अक्सर हमको इस इमली खाने की आदत पर डांट पिलाते हुए नजर आते हैं, क्योंकि उसका कहना था, कि अपने अम्लीय गुणों की वजह से इमली का ज्यादा सेवन नुकसानदायक साबित होता है. उनकी बात भी सही है ज्यादा मात्रा में इमली के सेवन से शरीर को नुकसान होता है. भारतीय लोक कथाओं में तो इमली को इतना नुकसान दायक बताया गया है कि इसके पेड़ के नीचे देर तक रहने को भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है, लेकिन जहां एक ओर ईमली को इतना नुकसानदायक बताया जा रहा है वहीं आयुर्वेद इसे एक बेहतरीन औषधी की तरह भी बताता है.जानिए इमली के बारे में (What is tamarind)
टेमरिंडस इंडिका इमली का बॉटनिकल नाम है. इंडिका से आशय है कि यह हमेशा से भारत में पाया जाता था और कहीं बाहर का पौधा नहीं है. भारतीय शास्त्रों में कई जगह इसका उल्लेख पाया जाता है. संस्कृत में इमली को कई नामो से पुकारा गया है, जिसमें इसे अपने बुरे प्रभाव के कारण यमदूतिका यानि मृत्यु का दूत तक बताया गया है, लेकिन अपने सदगुणों के कारण इसे आम्लिका और गुरूपत्रा तथा चरित्रा तक कहा गया है. इसका पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है. यह तीन वर्ष का होने के बाद फल देना शुरू करता है. समय के साथ ईमली के पेड़ बहुत विशाल हो जाते हैं और इनकी आयु भी बहुत लंबी होती है. अनुकूल वातावरण मिलने पर इमली का पेड़ सैकड़ों साल तक जिंदा रह सकता है.
क्या है इमली के औषधिय गुण? (Tamarind medicinal properties)
वैसे तो इमली को अपने गांठदार फल के लिए जाना जाता है जो खाने में खट्टा होता है क्योंकि इसके अंदर साइट्रिक एसिड बहुतायत में पाया जाता है. कच्ची इमली का रंग हरा होता है जो पक जाने पर गाढ़े लाल रंग में तब्दील हो जाती है. फल के अलावा इसके बीज, पत्ते और छाल तीनों में ही औषधिय गुण पाए जाते हैं जो अलग—अलग रोगों में अलग तरीके से लाभ पहुंचाते हैं. साइट्रिक एसिड के अलावा इमली में टार्टरिक एसिड भी पाया जाता है जिसे आज हम अप्राकृतिक रूप से पैदा करने में सक्षम हो गए है और यह टाटरी के नाम से अक्सर फास्टफूड में इस्तेमाल में लाई जाती है। इसके अलावा इमली में पोटेशियम बाई कार्बोनेट, फॉस्फोटिडिक एसिड और अल्केलाइड जैसे रसायन भी पाए जाते हैं जिसकी वजह से इसका अम्लीय प्रभाव और तेज हो जाता है और ज्यादा इमली खा लेने पर हमें एसिडिटी की समस्या हो जाती है. अब हम इसके अवयवों के अनुसार इसके गुण और दोष के बारे में जानते हैं.
इमली के छाल के औषधिय गुण (Tamarind bark)
- इमली की छाल ऐसे मरीजों के लिए वरदान है जिन्हें फाजिल की समस्या है, ऐसे मरीजों को छह महीने तक इमली का छाल का लेप लगाकर प्रभावित अंगों पर लेप करने से फायदा होता है.
- जल जाने पर जले हुए स्थान पर इमली के छाल के भस्म को गाय के घी के साथ मिलाकर उपयोग में लेने से लाभ होता है.
- थोड़ी मात्रा में इमली के बीजों को गुड़ के साथ खाने से वीर्य में इजाफा होता है और ताकत में बढ़ोतरी होती है.गुड़ के गुण फ़ायदे व् उपयोग यहाँ पढ़ें.
- इमली के बीजों के चूर्ण के सेवन से क्षय रोग के रोगियों को भी लाभ होता है और खांसी में खून और कफ के पीलेपन में कमी आती है.
- आंख में होने वाली फुंसी पर इमली का बीज रगड़ कर सेंकने से लाभ होता है.
- इमली अपने अम्लीय गुणों की वजह से गर्मियों में लाभकारी है. थोड़ी मात्रा में पकी हुई इमली को तलवों और हाथ—पैरों में मलने से लू का असर कम होता है.
- अगर किसी के दिल में सूजन है तो इमली को बराबर मिश्री के साथ मिलाकर (लगभग 10 ग्राम या वैद्य के परामर्श अनुसार) रस पीने से सूजन कम होती है.
- ऐसे पेड़ की इमली जो कम से कम से 20 साल पुराना हो, उन लोगों के लिए वरदान है जिन्हें पेट में समस्या होती है. ऐसे पेड़ की पकी हुई इमली के शर्बत के सेवन से पेट के विकार दूर होते हैं. इस शर्बत में इमली के अलावा मिश्री, दालचीनी, लौंग और इलायची अपने वैद्य के परामर्श के अनुसार मिलाकर पीने से लाभ होता है. लॉन्ग के फ़ायदे व् नुक्सान यहाँ पढ़ें.
- हड्डी के मोच में भी पकी हुई इमली बहुत गुणकारी है और मोच के स्थान पर पकी हुई इमली का गूदे के लेप से आराम मिलता है.
- कान के दर्द में इमली का रस तिल के तेल के साथ मिलाकर पकाकर डालने से लाभ हो रहा है.
- शराब या भांग का नशा कम करने में इमली का गुदा काम आता है. इसका निचोड़ गुड़ के साथ मिलाकर पीने से नशा काफुर हो जाता है.
- अगर किसी को ज्यादा उल्टियां हो रही हो तो इमली के गुदे का पानी बनाकर पीलाने से उल्टी होना बंद हो जाती है.
- चर्म रोग में इमली के पत्ते का रस लगाने से लाभ होता है.
- जहरीले कीड़े के काटने पर इमली के पत्तों का रस में सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है.
- खूनी बवासीर में इमली के ताजा पत्तों का रस पीना बहुत लाभकारी होता है और प्रारंभिक अवस्था में इसके ठीक हो जाने के अवसर होते हैं.
- इमली के पत्तों को उबाल कर उपयोग में लेने से हाइड्रोसिल के रोगियों को भी लाभ होता है परन्तु इसके इस्तेमाल की विधि किसी वैद्य के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए.
तत्व | पोषण मात्रा | प्रतिशत |
ऊर्जा | 239 किलो कैलोरी | 12 |
कार्बोहाइड्रेट | 62.50 ग्राम | 40 |
प्रोटीन | 2.80 ग्राम | 5 |
कुल वसा | 0.60 ग्राम | 3 |
कोलेस्ट्रोल | 0 मिलीग्राम | 0 |
डाइटरी फाइबर्स | 5.1 ग्राम | 13 |
विटामिन ए | 30 आई यू | 1 |
विटामिन सी | 3.5 मिलीग्राम | 6 |
विटामिन ई | 0.10 ग्राम | 1 |
विटामिन के | 2.8 म्यू | 2 |
सोडियम | 28 मिलीग्राम | 2 |
पोटेशियम | 628 मिलीग्राम | 13 |
कैल्सियम | 74 मिलीग्राम | 7 |
कॉपर | 0.86 मिलीग्राम | 9.5 |
लौह तत्व | 2.80 मिलीग्राम | 35 |
मैग्नीशियम | 92 मिलीग्राम | 23 |
फॉस्फोरस | 113 मिलीग्राम | 16 |
सेलेनियम | 1.3 म्यूग्राम | 2 |
जिंक | 0.10 मिलीग्राम | 1 |
इमली के साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव (Side effect of tamarind)
- अधिक मात्रा में सेवन करने से अपने अम्लीय प्रभाव के कारण दांतों को खट्टा कर देती है जिससे दांत का इनेमल प्रभावित होता है.
- लगातार इमली के सेवन से चर्म रोग होने का खतरा पैदा हो जाता है.
- ज्यादा मात्रा में उपयोग करने पर इमली के शर्करा पचाने की क्षमता की वजह से यह ब्लड शुगर को एकदम से नीचे ला देती है. इससे हाइपो ग्लेसीमिया का खतरा पैदा हो जाता है.
- एस्प्रीन जैसी कुछ दवाओं के उपयोग करने वाले लोगों को इसके उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि इससे आंतरिक रक्त स्राव होने का खतरा पैदा हो जाता है.
- ज्यादा इमली का सेवन आपके गाॅल ब्लेडर में पत्थरी की शिकायत पैदा कर सकता है.
- कई बार इमली के सेवन से खांसी की समस्या बढ़ जाती है और दमें के रोगियों को तो इससे मीलों दूर रहना चाहिए.
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