बदहजमी को अंग्रेजी में इनडाइजेशन कहते है, इसका ये अर्थ हुआ की पेट में खराबी या कोई बेचैनी या ऊपरी पेट में दर्द। बदहजमी को रोग नहीं ह...

बदहजमी
को अंग्रेजी में इनडाइजेशन कहते है, इसका ये अर्थ हुआ की पेट में खराबी या
कोई बेचैनी या ऊपरी पेट में दर्द। बदहजमी को रोग नहीं है लेकिन इसके कुछ
लक्षण है जैसे पेट में दर्द, खाना खाने की शरुआत करते ही भरपूर महसूस करना।
व्यक्ति से व्यक्ति में बदहजमी अलग – अलग प्रकार की हो सकती है। पेट में
दर्द रोजाना भी हो सकता है या कभी- कभी भी आप इसे महसूस कर सकते है। बदहजमी
के लक्षणों का भी इलाज किया जा सकता है जैसे अन्य रोग का किया जाता है।
स्वस्थ वातावरण को अनुकूलन करना,अच्छा खाना खाने की आदत को बनाना, व्यायाम
करना और सही दवाइयों के उपयोग से आप अनेक लाभ अपने रोजाना के जीवन में
प्राप्त कर सकते है।
बदहजमी एक ऐसी परिस्थति है जहाँ छाती में दर्द या बेचैनी होती है या ऊपरी पेट में दर्द या बेचैनी उत्पन्न होती है। ये ज्यादातर खाना खाने के बाद होता है। ये तब होता है जब पेट में से एसिड मुंह की ओर बढ़ता है, जब पेट के वाल्व सही से काम नहीं करते है। बदहजमी को मेडिकल भाषा में GERD या गैसत्रोसीओफेगल रिफ्लक्स डिजीज (gastro-esophageal reflux) कहते है।
बदहजमी एक ऐसी शारीरिक परिस्थिति है जो बहुत से व्यक्ति तुरंत या बाद में पहचानते है। पाचन प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ये खाने को एनर्जी में बदलती है। इस से फिर व्यक्ति में श्रेष्ठ मेटाबोलिस्म बना रहता है। लेकिन कभी पाचन तंत्र सही से काम नहीं करता है। इस कारण बदहजमी उत्पन्न हो सकती है। यहाँ खाना पचता नहीं है जिस से एसिडिक महसूस होता है या बेचैनी या पेट भरपूर महसूस होने लगता है।
बदहजमी एक ऐसी परिस्थति है जहाँ छाती में दर्द या बेचैनी होती है या ऊपरी पेट में दर्द या बेचैनी उत्पन्न होती है। ये ज्यादातर खाना खाने के बाद होता है। ये तब होता है जब पेट में से एसिड मुंह की ओर बढ़ता है, जब पेट के वाल्व सही से काम नहीं करते है। बदहजमी को मेडिकल भाषा में GERD या गैसत्रोसीओफेगल रिफ्लक्स डिजीज (gastro-esophageal reflux) कहते है।
बदहजमी एक ऐसी शारीरिक परिस्थिति है जो बहुत से व्यक्ति तुरंत या बाद में पहचानते है। पाचन प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ये खाने को एनर्जी में बदलती है। इस से फिर व्यक्ति में श्रेष्ठ मेटाबोलिस्म बना रहता है। लेकिन कभी पाचन तंत्र सही से काम नहीं करता है। इस कारण बदहजमी उत्पन्न हो सकती है। यहाँ खाना पचता नहीं है जिस से एसिडिक महसूस होता है या बेचैनी या पेट भरपूर महसूस होने लगता है।
बदहजमी के लक्षण – अपच के लक्षण (Symptoms of indigestion)
- जी मचलाना और उल्टी
- सूजन को महसूस करना (bloating)
- डकार और गैस
- ऊपरी पेट में जलन महसूस करना
- खाने के बाद अम्लीय स्वाद (acidic taste)
- पेट में दर्द और बेचैनी
- पेट लगातार गुर्राता
- बदहजमी के सबसे ख़ास लक्षण – ऊपरी पेट में जलन की भावना, जी मचलाना, भूख में कमी, पेट फूलना और डकार मारना।
- बदहजमी के कारण मुंह में अम्लीय स्वाद आता है, पेट में गुर्राने की आवाज़ या पेट में बेचैनी और कब्ज या दस्त
- ज्यादातर ये लक्षण समय के साथ दूर हो जाते है लेकिन ये रोजाना भी हो सकते है या लगातार आपके साथ रह सकते है।
बदहजमी का कारण – अपच का कारण (Causes of indigestion)
पेट में मौजूद एसिड खाने को पचाते है और साथ ही शरीर को इन्फेक्शन से बचाते है। पेट में म्यूकस परत (mucous layer) है जो एसिड को रोकता है ताकि वे खाने की पाइप से वापस ना आ सके। अगर इस परत को क्षति पहुँचती है तो एसिड फ़ूड पाइप में दिक्कत उत्पन्न करता है जिस कारण बदहजमी के लक्षण उत्पन्न होते है।- बदहजमी के लक्षण और भी बढ़ जाते है अगर आप शराब पीते है, धूम्रपान करते है, स्ट्रेस और चिंता लेते है तो।
- कुछ खाने और दवाई भी जलन और बदहजमी के लक्षण को उत्पन्न कर सकते है।
- कभी ज्यादा वजन के व्यक्ति में भी बदहजमी उत्पन्न हो जाती है क्योंकि वजन के बढ़ने से पेट पर प्रेशर बढ़ जाता है।
- जो व्यक्ति पेप्टिक अलसर (peptic ulcers) से गुज़र रहे होते है उनके लिए बदहजमी एक सामान्य लक्षण है। पेप्टिक अलसर में नीचे की आंत (lower intestines) पर सूजन हो जाती है।
- हिआटस हर्निया (Hiatus hernia) एक ऐसी परिस्थिति है जहाँ पेट का भाग छाती की ओर चला जाता है जिस से छाती में जलन उत्पन्न होने लगती है।
- एक्यूट पैंक्रियाटितिस (Acute pancreatitis) है जहाँ पैंक्रियास में सूजन होती है और एक्यूट गस्त्रितिस (acute gastritis) ऐसी परिस्थिति है जहाँ पेट में सूजन उत्पन्न होती है और इन कारण बदहजमी होती है।
- फ़ूड पोइसोनिंग (food poisoning) और पेट में इन्फेक्शन भी बदहजमी का कारण बन सकते है।
- जो व्यक्ति डायबिटीज से गुज़र रहें है वे अक्सर गैसत्रो पैरसिस (gastro paresis) से गुज़रते है जहाँ पेट सही से साफ़ नहीं होता है।
- ज्यादातर गर्भवती महिलाए बदहजमी से गुज़रती है क्योंकि इस दौरान उनके स्त्री के हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। बदहजमी के लक्षण गर्भावस्था के चौथे महीने से शुरू होते है और बच्चे के पैदा होने के एक महीने बाद तक रहते है।
- हमारे लाइफस्टाइल में हम बहुत से स्वास्थय सम्बंधित असुविधा का सामना करते है।
- बुरी आदतें: शराब, धूम्रपान।
- काम का प्रेशर: स्ट्रेस और थकान भी सेहत से जुड़े हुए है।
- सही से ना खाना: ज्यादा खाना, या नियमित समय से नहीं खाना, जंक फ़ूड, अन्य।
- रोग के कारण बदहजमी हो सकता है क्योंकि बीमारी के समय शरीर में बहुत से बदलाव उत्पन्न होते रहते है जिस कारण शरीर में कार्य सही से नही होते और बदहजमी उत्पन्न होती है। रोग जैसे अल्सर, GERD (गैसत्रोसीओफेगल रिफ्लक्स डिजीज) (gastroesophageal reflux disease), गैसत्रोपैरसिस (gastroparesis) (ये ऐसा रोग है जिसमे पेट सही से साफ़ नहीं होता है), पेट में इन्फ़क्तिओन, थाइरोइड रोग, क्रोनिक पैंक्रियाटितिस (chronic pancreatitis) और अन्य जो बदहजमी से सम्बंधित हो।
- हम कभी कोई रोग का इलाज करने के लिए दवाई लेते है उनके कारण भी हमारे शरीर में अन्य समस्या उत्पन्न हो सकती है। इन दवाई जैसे एस्पिरिन और अन्य पैनकिलर, ओरल और कॉण्ट्रासेप्टिव पिल्स, एस्ट्रोजन और थाइरोइड दवाई के साइड इफेक्ट्स से बदहजमी हो सकती है।
कौन है बदहजमी के खतरे में? (Indigestion: who are under danger?)
बदहजमी दोनों पुरुष और महिलाओं में पाया जाता है और इसकी कोई उम्र नहीं होती। जो लोग गलत खाने की आदतों को बनाते है, वे इस समस्या से ज्यादा गुज़रते है। शराब की लत से भी शरीर के कार्य में परेशानी होती है और शरीर को हानि पहुँचती है। स्ट्रेस, थकान, डिप्रेशन, धूम्रपान से भी आपके शरीर को हानि पहुँचती है। एस्पिरिन नामक ड्रग से भी ये समस्या उत्पन्न होती है। बदहजमी का शिकार वो बनते है जो अस्वस्थ खाना, अनियमित से खाना खाते है।अपच का निदान (Diagnosis of indigestion)
बदहजमी अनेक लोगो में हल्का और लगातार नहीं पाया जाता इसलिये इसके लिए डॉक्टर का परामर्श लेना आवश्यक नहीं है। लेकिन आपको अपने इस समस्या का ख्याल रखना होगा, अगर आप इस समस्या से ज्यादा गुज़रते है तो आपको डॉक्टर की सहायता की ज़रुरत है। सही जांच कराने से आप अपनी समस्या की गंभीरता को जान सकते है। आपका डॉक्टर पेट के अलग-अलग भाग पर प्रेस करेगा ताकि जान सके की दर्द कहाँ है या दर्द है की नहीं। लक्षणों से बदहजमी के प्रकार को जान कर उसका इलाज सही से किया जा सकता है। एंडोस्कोपी को किया जाता है जहाँ एक छोटी ट्यूब में छोटा सा कैमरा लगा कर शरीर के अंदर डाला जाता है ताकि प्रतिबिंब को पा सकें। पेट में साधारण दर्द को बदहजमी नहीं कह सकते। आपका डॉक्टर अनेक जांच करेगा जिसमे आपको अपने पेट या छोटे आंत की x- रे करानी पड़ेगी। आपको अल्ट्रासाउंड स्कैन को भी कराना पड़गा। गर्भावस्था के दौरान भी बदहजमी हो सकती है जो गर्भावस्था के कारको के कारण उत्पन्न हो सकता है।- खून की जांच ( Blood tests) – साधारण बदहजमी की परिस्थिति में ब्लड की जांच करना आवश्यक नहीं है, अगर ये परिस्थिति लम्बे समय से उत्पन्न है तो जांच कराना चाहिए क्योंकि इस से उन बैक्टीरिया का पता चलेगा जो पेप्टिक अलसर का कारण बनते है।
- गैसत्रोस्कोपी (Gastroscopy) – ये के प्रक्रिया है जिस से फ़ूड पाइप, पेट और छोटे आंत के अंदर देखा जा सकता है। इस दौरान एक छोटी सी ट्यूब जिसे एण्डोस्कोप कहते है उसमे छोटा कैमरा डाल कर देखा जाता है।
- बेरियम मील x-रे (Barium meal X-ray) – ये के टेस्ट है जिसमे एक विशेष मील जिसे बेरियम कहते है उसे निगलने के बाद पाचन के अंगो का x- रे किया जाता है।
बदहजमी के लिए नुस्खे (Remedies for indigestion)
बदहजमी के लक्षण को कम किया जा सकता है,- फैटी फ़ूड, कॉफ़ी, टी और शराब का सेवन कम करने से बदहजमी को कम किया जा सकता है।
- धूम्रपान छोड़ना
- सीधे, पीठ के बल सोने से पेट पर प्रेशर कम उत्पन्न होगा
- ध्यान, योग और गहरी सांस से आराम प्राप्त होगा जिस से स्ट्रेस की मात्रा को कम किया जा सकता है।
- खाने को धीरे से खाए और रात को सोने के 2 से 3 घंटे पहले ही खाना खा लें।
- कुछ दवाई जैसे एंटएसिड (antacids) है जिसका उपयोग कर आप बदहजमी के लक्षण को कम कर सकते है। पेट में एसिड को कम बनाने के लिए आप कम मात्रा में प्रोटोन पंप इन्हिबिटर (proton pump inhibitor) ले सकते है।
बदहजमी के लिए प्राकृतिक घरेलु नुस्खे (Natural home remedies for indigestion)
ऐसे भी कुछ प्राकृतिक सामग्री है जिनसे आप अपने पेट में उत्पन्न हुई बेचैनी को ठीक कर सकते है। कुछ प्राकृतिक सामग्री जैसे,- अदरक से अपच का उपचार (Ginger) एक ऐसी सामग्री है जो पाचन को सुधारती है और छाती में जलन के लक्षण को कम करती है। आप इसका उपयोग चाय, खाना बनाते समय या आप अदरक की गोली/ पिल्स भी ले सकते है।
- कैमोमाइल (Chamomile) इसे चाय के रूप में लिया जाता है जो पेट को आराम प्रदान करता है और आंतों के ट्रैक्ट ( intestinal tract ) को आरामदायक बनाता है।
- पुदीने का तेल (Peppermint oil) आंतों की मांसपेशियों में ऐंठन को कम करता है और जी मचलाने और उल्टी को आने से रोकता है।
- सौंफ या काला जीरा से अपच का उपचार (Fennel or caraway seeds) ये जी मचलाने, गले में ऐंठन से आराम प्रदान करता है और पेट फूलने को नियंत्रित करता है।
- एप्पल साइडर विनेगर (Apple cider vinegar) ज्यादा खाने के बाद इस से आप अपनी बेचैनी को दूर कर सकते है। इसे आप आधे पानी के ग्लास में मिला कर पी सकते है।
- बेकिंग सोडा है अपच की दवा (Baking soda) को पानी के साथ लिया जाता है जिस से पेट में उत्पन्न हुई गैस और सूजन से आराम मिल सकता है।
- गरम पानी (Hot water) खाने के बाद गरम पानी पीने से पचत में आसानी होती है।
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