गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन होना एक सामान्य सी बात है। गर्भावस्था सभी महिलाए के लिए सबसे ख़ुशी का पल माना जाता है, लेकिन यह ख़ुशी नय...

गर्भावस्था
के दौरान डिप्रेशन होना एक सामान्य सी बात है। गर्भावस्था सभी महिलाए के
लिए सबसे ख़ुशी का पल माना जाता है, लेकिन यह ख़ुशी नयी माँ के लिए चिंता और
डिप्रेशन में बदलते समय नहीं लेती। इस समस्या के बहुत से कारण हो सकते है
इसलिए बेहतर होगा की आप इन डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में जाने और समय
रहते इनका इलाज करवाये। 15 से 24% स्वस्थ माँ में आप डिप्रेशन देख सकते है
और नयी माँ के लिए तो गर्भावस्था के समय डिप्रेशन एक सामान्य सी बात है। इस
आर्टिकल में हम गर्भावस्था दौरान होने वाले डिप्रेशन के लक्षण, कारण और
इलाज के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। इस से आप आपकी अवस्था को सही से
समझ पायेंगे और इनका इलाज सही समय रहते करा सकेंगे।
हार्मोनल मात्रा में बदलाव व्यक्ति में अनेक प्रकार की समस्या पैदा कर सकते है इसलिए ज़रूरी नहीं की इस दौरान से हर माँ अपने गर्भावस्था के समय डिप्रेशन से गुज़रती है लेकिन अगर आप इस समस्या से गुज़र रही है तो घबराए मत, यह समस्या गर्भावस्था के दौरान सामान्य है।
आज कल प्रसूतिसास्री (gynecologist) सेरोटोनिन रि- अपटेक इन्हिबिटर्स (serotonin re- uptake inhibitors) को निर्धारित करते है क्यूंकि क्लिनिकल रिसर्च के अनुसार यह दवाई बच्चे को कोई हानि नहीं पहुँचाती और साथ ही गर्भपात (abortion) का डर भी नहीं रहता। अगर आप गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन से गुज़र रही है तो अपने प्रसूतिसास्री (gynecologist) से तुरुन्त इसका इलाज करवाए। आप सोच नहीं सकते की सही दवा, सही मात्रा में लेने से आपको कितनी सहायता प्राप्त हो सकती है।
ऊपर दिए गए उपाय के अलावा कुछ बदलाव अपने खान- पान और लाइफ स्टाइल में लाने से आप डिप्रेशन का इलाज कर सकते है। ज्यादातर डॉक्टर इन बदलाव को थेरेपी या दवाइयां के साथ करने का सुझाव देते है ताकि परिणाम बेहतर आ सकें। आप इन बदलाव को अपनी रोजाना की ज़िन्दगी में अपना सकती है जब तक आप अपने डिप्रेशन को समझ ना ले। अगर आप यह बदलाव को अपनी गर्भावस्था के शुरूआती दौरान अपनाएंगे तो ऑटोमेटिकली आप इस दौरान डिप्रेशन होने के जोखिम को कम कर सकेंगे। अगर आपको लगे की यह बदलाव से आपका डिप्रेशन दूर नहीं हो रहा तो आप अपने डॉक्टर से तुरुन्त इसका इलाज करा सकते है।
रिसर्च यह भी दिखाती है की आहार में कम प्रोटीन होने से आप डिप्रेशन का शिकार बन सकती है। इसलिए आहार में प्रोटीन से भरपूर पदार्थो को मिलाये लेकिन अस्वस्थ फैट को ना मिलाये। लीन मीट, पौलट्री, अंडे, फिश, यह सब प्रोटीन से भरपूर है और इन से आप अपने डिप्रेशन की अवस्था को सुधार सकेंगी। सरेअल्स (cereals), पालक, बीन्स, पीस (peas), अनाज यह सब पदार्थ आपके मूड को बेहतर बनाते है क्यूंकि इनमे विटामिन और मिनरल भरे पड़े है, जिस से आप अपने ब्रेन में सेरोटोनिन की मात्रा को बढ़ा सकते है।
गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन का कारण (The reasons of depression during pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान माँ के हार्मोनल मात्रा बहुत तेज़ी से बदलने लगते है। हमे यह समझना चाहिए की हमारी भावना, हॉर्मोन के ऊपर निर्भित रहते है और हॉर्मोन में बदलाव या असंतुलन के कारण, एक व्यक्ति अनेक प्रकार की समस्या से गुज़र सकता है। गर्भावस्था के दौरान यह देखा गया है की हार्मोनल मात्रा में बदलाव माँ के शरीर में मौजूद अच्छा महसूस करवाने वाले हॉर्मोन पर भारी पड़ते है और इस कारण डिप्रेशन का शिकार नयी माँ तुरुन्त बन जाती है।हार्मोनल मात्रा में बदलाव व्यक्ति में अनेक प्रकार की समस्या पैदा कर सकते है इसलिए ज़रूरी नहीं की इस दौरान से हर माँ अपने गर्भावस्था के समय डिप्रेशन से गुज़रती है लेकिन अगर आप इस समस्या से गुज़र रही है तो घबराए मत, यह समस्या गर्भावस्था के दौरान सामान्य है।
गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन के ट्रिगर (Triggers of depression during pregnancy)
इस दौरान कुछ ट्रिगर है जो आपके डिप्रेशन का कारण बन सकती है। हॉर्मोन के बदलाव के रहने पर भी इन ट्रिगर के हटने से आप अपने डिप्रेशन से बहार आ सकती है। यह नयी माँ और परिवार का उत्तरदायित्व है की नयी माँ को इन ट्रिगर से दूर करवाया जाए और इस दौरान उनका ख़ास ख़याल रखा जाए। कुछ महिलाओं के लिए, इन ट्रिगर के मिश्रण उनके डिप्रेशन का कारण बनते है और कुछ महिलाओं के लिए एक ट्रिगर काफी है उन्हें डिप्रेशन का लम्बे समय तक शिकार बनाने में, जो इलाज के बाद ही सुधारा जा सकता है। कुछ सामान्य ट्रिगर जो गर्भावस्था दौरान देखे जाते है वो है,- संबंध में समस्या
- डिप्रेशन का इतिहास
- पहले गर्भावस्था पर क्षति
- परिवार या व्यसायी जीवन में स्ट्रेस से भरपूर वातावरण
- आघात का इतिहास
- अनेक बांझपन का इलाज
गर्भावस्था में तनाव के लक्षण (Symptoms of depression during pregnancy)
यह कुछ सामान्य गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन के लक्षण है। महिलाए जो डिप्रेशन से गुज़र रही है वो एक से अधीक लक्षणों का शिकार है। अगर दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण 2 हफ्तों से ज्यादा रह रहे है तो आप समझ जाइए की आपको डिप्रेशन है और इसका इलाज समय रहते अनिवार्य है। नीचे कुछ सामान्य लक्षणों को दर्शाया गया है,- लगातार चिडचिडाहट
- ध्यान लगाने में दिक्कत
- हर समय दुखित रहना
- कम या अधीक सोना
- गतिविधियों से दूर होना जो आप पहले ख़ुशी से किया करती थी
- आत्महत्या के विचार, लाचारी और मृत्य के विचार
- अपने आप को व्यर्थ और अपराधी समझना
- डर और चिंता
गर्भावस्था के दौरान तनाव का इलाज (Treating depression during pregnancy)
अगर आप गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन से गुज़र रही है तो आपको इस से अकेले गुजरने की आवश्यकता नहीं। आप हमेशा सहायता ले सकती है और सही इलाज से बेहतर महसूस कर सकती है। रिसर्च के अनुसार, गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन बच्चे पर भी असर दिखा सकता है और इसलिए अपना और अपने बच्चे की सेहत के लिए इस समस्या का सही और तुरुन्त इलाज अनिवार्य है। नीचे गए उपाय से आप गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन को सुधार सकेंगे।गर्भावस्था के दौरान चिंता के लिए इलाज (Pregnancy mai tanav ke liye medications)
दवाइयां से आप गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन का इलाज सही से कर सकते है। वैसे भी हर एंटी डिप्रेसंट (anti depressant) गर्भावस्था की महिलाओं के लिए सही नहीं है और यह बच्चे को भी हानि पहुँचा सकते है। इसलिए अगर आप गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन से गुज़र रही है तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करने के बाद दवाइयां ले।आज कल प्रसूतिसास्री (gynecologist) सेरोटोनिन रि- अपटेक इन्हिबिटर्स (serotonin re- uptake inhibitors) को निर्धारित करते है क्यूंकि क्लिनिकल रिसर्च के अनुसार यह दवाई बच्चे को कोई हानि नहीं पहुँचाती और साथ ही गर्भपात (abortion) का डर भी नहीं रहता। अगर आप गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन से गुज़र रही है तो अपने प्रसूतिसास्री (gynecologist) से तुरुन्त इसका इलाज करवाए। आप सोच नहीं सकते की सही दवा, सही मात्रा में लेने से आपको कितनी सहायता प्राप्त हो सकती है।
स्य्कोथेरेपी (Psychotherapy)
स्य्कोथेरेपी से आप अपने गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन का इलाज बिना दवाई पर निर्भर रहे कर सकती है। स्य्कोथेरेपी माँ को साइकोलॉजी (psychology) से गर्भावस्था का उज्ज्वल भाग दिखाती है और उन्हें अच्छा महसूस करवाती है ताकि वो जल्द से जल्द ठीक हो सकें। स्य्कोथेरेपी का उपाय अपनाने से पहले अपने प्रसूतिसास्री (gynecologist) को बताना ना भूलें।गर्भावस्था में डिप्रेशन के लिए एक्यूपंक्चर (Acupuncture)
एक्यूपंक्चर एक दूसरा इलाज का उपाय है जो चाइना (china) में बहुत पहले शुरू हुआ था। यह माना जाता है की एक्यूपंक्चर से आप अनेक प्रकार के शाररिक और मान्सिक बीमारियों को दूर कर सकते है। गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन का इलाज एक्यूपंक्चर द्वारा बिना कोई साइड इफेक्ट्स (side effects) के कर सकते है। हमेशा ध्यान रखें की आप यह थेरेपी अनुभाविक थेरापिस्ट से ले रहे है, जिसे इसके बारे में विशेष जानकरी है और अपने डॉक्टर से भी पहले परामर्श ले लें।ऊपर दिए गए उपाय के अलावा कुछ बदलाव अपने खान- पान और लाइफ स्टाइल में लाने से आप डिप्रेशन का इलाज कर सकते है। ज्यादातर डॉक्टर इन बदलाव को थेरेपी या दवाइयां के साथ करने का सुझाव देते है ताकि परिणाम बेहतर आ सकें। आप इन बदलाव को अपनी रोजाना की ज़िन्दगी में अपना सकती है जब तक आप अपने डिप्रेशन को समझ ना ले। अगर आप यह बदलाव को अपनी गर्भावस्था के शुरूआती दौरान अपनाएंगे तो ऑटोमेटिकली आप इस दौरान डिप्रेशन होने के जोखिम को कम कर सकेंगे। अगर आपको लगे की यह बदलाव से आपका डिप्रेशन दूर नहीं हो रहा तो आप अपने डॉक्टर से तुरुन्त इसका इलाज करा सकते है।
व्यायाम (Garbhavastha me depression ke liye exercise)
गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन का इलाज आप रोजाना व्यायाम करने से कर सकती है। व्यायाम से सेरोटोनिन का बनना बढ़ता है। सेरोटोनिन आपके कोर्टिसोल (cortisol) की मात्रा को कम करता है और डिप्रेशन से लड़ने में सहायता करता है। गर्भावस्था दौरान आपको कोई भारी व्यायाम करने की आवश्यकता नहीं बल्कि दिन में 20 मिनट के लिए वाक (walk) पर बहार जाना या कुछ फ्री हैण्ड एक्सेरसाईस (free hand excercise) करने से आप बेहतर परिणाम पा सकती है। अगर आप व्यायाम पहली बार कर रही है तो ध्यान रखें की इसके बारे में अपने डॉक्टर से पहले परामर्श लेना ना भूलें।सही आहार चुने (Get the right diet)
आपके आहार का असर केवल आपके गर्भावस्था/ प्रेगनेंसी पर नहीं होता बल्कि इसका असर आपके मूड पर भी होता है। अगर आप मूड स्विंग्स (mood swings) या गर्भावस्था दौरान डिप्रेशन से गुज़र रही है तो पहले अपने आहार पर ध्यान दे और उसे सही रूप से नियमित करें। रिसर्च के अनुसार अगर आप ज्यादा शुगर/ मीठा या कार्बोहाइड्रेट्स (carbohydrates) वाला खाना खाती है तो इसका असर आपके ब्लड शुगर लेवल पर पड़ता है जिस से आपको डिप्रेशन होने में देरी नहीं लगती। और साथ ही शराब और कैफीन (caffeine) से दूर रहे क्यूंकि इनके कारण आप अपने मूड को ज्यादा बिगाडती है।रिसर्च यह भी दिखाती है की आहार में कम प्रोटीन होने से आप डिप्रेशन का शिकार बन सकती है। इसलिए आहार में प्रोटीन से भरपूर पदार्थो को मिलाये लेकिन अस्वस्थ फैट को ना मिलाये। लीन मीट, पौलट्री, अंडे, फिश, यह सब प्रोटीन से भरपूर है और इन से आप अपने डिप्रेशन की अवस्था को सुधार सकेंगी। सरेअल्स (cereals), पालक, बीन्स, पीस (peas), अनाज यह सब पदार्थ आपके मूड को बेहतर बनाते है क्यूंकि इनमे विटामिन और मिनरल भरे पड़े है, जिस से आप अपने ब्रेन में सेरोटोनिन की मात्रा को बढ़ा सकते है।
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